शायद बीतना दिन का स्वभाव है
बीत गए कई दिन |
कई दीवारें बनीं टूटीं
खण्डहर
बनते बिगड़ते चलते रहे
साँसों में उतरते....
छोटी-छोटी बातें
धड़कनों में बजती रहीं
स्मृतियों में
डूबती रही
शांति की लय
सहसा
चौंककर आसपास
वे दिन लौट आते हैं
आत्मा में धँस कर....