Last modified on 24 जुलाई 2020, at 19:31

दिन ढलने से पहले / अरुणाभ सौरभ

अंगड़ाई में कट गए फूलों से दिन
चिड़ियों की चहकन से शुरू हुआ दिन
आसमानी चादर ताने गुनगुने दिन
मखमली घास की सेज पर गीत गाते दिन
सूरज के जूते में फीता बान्धते दिन
या पीछे से हाथों से आँखेँ मून्दता दिन
भरी दुपहरी में सरसराता दिन

लोहित आकाश में कनात फैलाए दिन
सूरज को परदेस भेजकर सुबक रहा दिन
ढलने की पारी से लड़ रहा दिन
चान्द के चेहरे पर क्रीम लगाकर लौट आता दिन
चिड़ियों की चहक में फूलों की महक में
प्रभाती से आकाश से पाताल से
दसों दिशाओं से ऋतुओं से
नक्षत्रों से पक्षों से
मास-पहर और सातों घोड़ों से कह दो
कि सूरज के संग रोमांस करने का वक़्त हो गया है ...