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दिन हुवै का रात हुवै / सांवर दइया

दिन हुवै का रात हुवै
एक थांरी बात हुवै

धरती रो रूं रूं तपै
जी भर बरसात हुवै

म्हारो मन शह समझसी
भलांई बा मात हुवै

थां थकां थांनै तरसां
कदै ना आ बात हुवै

अंधारै सूं कुण डरपै
हाथ में जद हाथ हुवै