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दिया अपना जो उसने वास्ता तो / शैलजा नरहरि

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दिया अपना जो उसने वास्ता तो
ख़ुशी इक दे गया मुझसे मिला तो

मुसलसल दर्द है,तनहाइयाँ हैं
यही है उनसे अपना सिलसिला तो

कोई तनहा सहेगा दर्द कब तक
करेगा इश्क़ इक दिन फ़ैसला तो

अभी तक आँख में तस्वीर जो है
यही है दर्द की अब तक दवा तो

मेरी मायूसियाँ कुछ भी न देंगी
हंसी से हो सकेगा राबिता तो

ख़ुदी को मार कर जीना है मुश्किल
ख़ुदा दिखलाये कोई रास्ता तो