दिया ही जल रहा है।
महल क्यूँ गल रहा है।
मैं लाया आइना क्यूँ,
ये सबको खल रहा है।
खुला ब्लड बैंक जिसका,
कभी खटमल रहा है।
डरा बच्चों को ही बस,
बड़ों का बल रहा है।
करेगा शोर पहले,
वो सूखा नल रहा है।
उगा तो जल चढ़ाया,
अगन दो ढल रहा है।