भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल्ली में जहानाबाद – दो / अर्पण कुमार

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:08, 27 जनवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्पण कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जहानाबाद
को सत्ता है
अपने लहुलुहान वर्तमान को
जीते जी इतिहास के घूरे पर
चले जाने के लिए

जहानाबाद
अकेला नहीं है
विश्व के मानचित्र पर

वे जहानाबाद
कितने अच्छे हैं
जो अकेले हैं
अचर्चित हैं
स्थानीय हैं

टीवी पर नहीं दिखते
अखबार में नहीं आते
मैगजीन के कवर-स्टोरी नहीं बनते

जहानाबाद सिर्फ जहानाबाद रहता है।