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दिल्ली मैट्रो चार / रजनी अनुरागी

चार

अगर सिग्नल दे जाए गच्चा
मैट्रो बन जाती है रूठा हुआ बच्चा
ये अपनी जगह से नहीं हिलेगी
हज़ारों-हज़ार जनता मिनट-मिनट में घड़ी तकेगी

नौकरी पेशा मैट्रो को गरियाएंगे
उन्हें अपने आस-पास
बास के भयावह चेहरे नज़र आएंगे
कालेज जाते विद्यार्थी
खडूस प्रोफेसर की क्लास से बच जाएंगे
और प्रेमी-प्रेमिका इन सुनहरे क्षणो में
एक दूजे की आँखों में डूब जाएंगे
मंद-मंद मुस्काएंगे