Last modified on 7 मई 2009, at 22:44

दिल-ए-ख़ूँगश्ता-ए-जफ़ा पे कहीं / मजाज़ लखनवी

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:44, 7 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मजाज़ लखनवी }} Category:ग़ज़ल <poem>दिल-ए-ख़ूँगश्ता-ए-जफ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दिल-ए-ख़ूँगश्ता-ए-जफ़ा पे कहीं|
अब करम भी गिराँ न हो जाये|

तेरे बीमार का ख़ुदा हाफ़िज़,
नज़्र-ए-चारागराँ न हो जाये|

इश्क़ क्या क्या न आफ़तें ढाये,
हुस्न गर महर्बाँ न हो जाये|

मैं के आगे ग़मों का कोह-ए-गिराँ,
एक पल में धुआँ न हो जाये|

फिर 'मज़ाज़' इन दिनों ये ख़तरा है,
दिल हलाक-ए-बुताँ न हो जाये|