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"दिल की आग कहाँ ले जाते जलती बुझती छोड़ चले / 'क़ैसर'-उल जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

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हमने जितनी पूँजी जोड़ी रत्ती रत्ती छोड़ चले  
 
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साड़ी उम्र गँवा दी 'क़ैसर'दो गज़ मिट्टी हाथ लगी  
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सारी उम्र गँवा दी 'क़ैसर'दो गज़ मिट्टी हाथ लगी  
 
कितनी महँगी चीज़ थी दुनिया कितनी सस्ती छोड़ चले  
 
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20:08, 28 मई 2019 के समय का अवतरण

दिल की आग कहाँ ले जाते जलती बुझती छोड़ चले
बंजारों से डरने वालों लो हम अपनी बस्ती छोड़ चले

आगे आगे चीख़ रहा है सहरा का इक ज़र्द सफ़र
दरिया जाने साहिल जाने हम तो कश्ती छोड़ चले

मिट्टी के अम्बार के नीचे डूब गया मुस्तक़बिल भी
दीवारों ने देखा होगा बच्चे तख्ती छोड़ चले

दुनिया रखे चाहे फेंके ये है पड़ी ज़म्बिल-ए-सुख़न
हमने जितनी पूँजी जोड़ी रत्ती रत्ती छोड़ चले

सारी उम्र गँवा दी 'क़ैसर'दो गज़ मिट्टी हाथ लगी
कितनी महँगी चीज़ थी दुनिया कितनी सस्ती छोड़ चले