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दिल की तड़पन देखिये, दुनिया की ठोकर देखिये / गुलाब खंडेलवाल

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दिल की तड़पन देखिये, दुनिया की ठोकर देखिये
दो घड़ी तो रहके इन आँखों के अन्दर देखिये

हैं बिछी पलकें हमारी हर अदा पर आपकी
आप भी इस ओर थोड़ा मुस्कुराकर देखिये

एक-से हैं अब हमें, बरसा करें पत्थर कि फूल
ज़िन्दगी यह हमको लाई है कहाँ पर, देखिये

हमको सूरज-सा कभी देखा था उठते आपने
अब हमारे डूब जाने का भी मंज़र देखिये

फिर न लौटेंगे कभी इस बाग़ से जाकर गुलाब
देखना है उनको जितना आज जी भर देखिये