भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल की दिल को ख़बर नहीं मिलती / मुल्ला

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:03, 25 अप्रैल 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद नारायण 'मुल्ला' }} {{KKCatGhazal}} <poem> दि...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल की दिल को ख़बर नहीं मिलती
जब नज़र से नज़र नहीं मिलती

सहर आई है दिन की धूप लिए
अब नसीम-ए-सहर नहीं मिलती

दिल-ए-मासूम की वो पहली चोट
दोस्तों से नज़र नहीं मिलती

जितने लब उतने उस के अफ़साने
ख़बर-ए-मोतबर नहीं मिलती

है मक़ाम-ए-जुनूँ से होश की रह
सब को ये रह-गुज़र नहीं मिलती

नहीं 'मुल्ला' पे उस फ़ुग़ाँ का असर
जिस में आह-ए-बशर नहीं मिलती