Last modified on 21 अक्टूबर 2016, at 06:03

दिल की दुनिया से अजब तकरार है / पूजा श्रीवास्तव

दिल की दुनिया से अजब तकरार है
मैं कहूँ चाहत कहे बेकार है

बाँच दीं चेहरे ने दिल की चिट्ठियाँ
आजकल चेहरा मेरा अखबार है

वासनाओं की नज़र से तौलकर
बोलिए मत हर बदन बाज़ार है

जां बचाने को वो छोटा सा दिया
आँधियों से लड़ने को तैयार है

अलहदा है चाहती हूँ मैं जिसे
वो बहुत सादा सा इक किरदार है

आसमानी हसरतें तुम ही रखो
मुझको प्यारा मेरा घर परिवार है

हाँ मुहब्बत में है सब बर्बादगी
प्यार न हो तो भी सब बेकार है

है बहुत हल्का मगर है बोझ ही
एक मुझ पर जो तेरा उपकार है

फ़र्ज़ का ही नाम है ये बेटियाँ
इसने कब माँगा कभी अधिकार है

नापने की तुम क़वायद छोड़ दो
हौसला मेरा हदों के पार है

न्याय तो माँगो मगर मत भूलना
ये हमारे देश की सरकार है

तुम हो चारागर यही बस सोचकर
दिल को अपने कर लिया बीमार है

आफतें दिल को हैं पहले ही बहुत
और मत कहिए कि मुझसे प्यार है

मुफ़लिसी के रोज़ो शब हैं एक से
सोग क्या है और क्या त्यौहार है