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दिल तो दिल है दिल की बातें / देवमणि पांडेय
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दिल तो दिल है दिल की बातें समझ सको तो बेहतर है
दुनिया की इस भीड़ में ख़ुद को अलग रखो तो बेहतर है
मोड़ हज़ारों मिलेगें तुमको , कई मिलेगें चौराहे
मंज़िल तक पहुँचाने वाली राह चुनो तो बेहतर है
क़दम क़दम पर यहाँ सभी को बस ठोकर ही मिलती है
थाम के मेरा हाथ अगर तुम संभल सको तो बेहतर है
ख़ामोशी भी एक सदा है अकसर बातें करती है
तुम भी इसको तनहाई में कभी सुनो तो बेहतर है
जाने कैसा ज़हर घुला है इन रंगीन फ़िज़ाओं में
प्यार की ख़ुशबू से ये मंज़र बदल सको तो बेहतर है