http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2_%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%80_%E0%A4%94%E0%A4%B0_%E0%A4%B5%E0%A4%B9%E0%A5%80_%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A4%B0_/_%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A5%80&feed=atom&action=historyदिल दिल्ली और वही तुम्हारा मेरा दिसंबर / दीपिका केशरी - अवतरण इतिहास2024-03-28T13:28:22Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2_%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%80_%E0%A4%94%E0%A4%B0_%E0%A4%B5%E0%A4%B9%E0%A5%80_%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A4%B0_/_%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A5%80&diff=237464&oldid=prevAnupama Pathak: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीपिका केशरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2017-10-13T11:26:28Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीपिका केशरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
<p><b>नया पृष्ठ</b></p><div>{{KKGlobal}}<br />
{{KKRachna<br />
|रचनाकार=दीपिका केशरी<br />
|अनुवादक=<br />
|संग्रह=<br />
}}<br />
{{KKCatKavita}}<br />
<poem><br />
ये दिल्ली भी अजीब दिल्लगी करता है<br />
सब कुछ है यहाँ <br />
पर सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है, <br />
शोर के पीछे सन्नाटा है<br />
सारे ताम झाम के पीछे नीली सी तमाम रातें हैं, <br />
रंगीन पानी पे तैरता अकेलापन है<br />
और धुंए में उङता खुशी गम का राग है,<br />
रोज एक हूक उठती है मन में<br />
हाय,ये शहर कितना अकेला है !<br />
यहां के धूप में बहते अवसाद को स्पर्श करो तो<br />
वो अवसाद <br />
बिखर आता है चेहरे पे<br />
और जब उस अवसाद को चूम लो आगे बढ़कर<br />
तो वो भी चूम लेता है आगे बढ़कर, <br />
इस शहर को थपकियों की जरूरत है<br />
इस शहर की जरूरतें बढ़ दि गई है<br />
ये शहर के दिल में अब भी एक बच्चा रहता है<br />
जो बेवजह ही तुम्हारी याद दिलाता है !<br />
</poem></div>Anupama Pathak