Last modified on 28 नवम्बर 2009, at 04:08

दिल धड़कने का सबब याद आया / नासिर काज़मी

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:08, 28 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तेरी याद थी अब याद आया

आज मुश्किल था सम्भलना ऐ दोस्त
तू मुसीबत में अजब याद आया

दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से
फिर तेरा वादा-ए-शब याद आया

तेरा भूला हुआ पैमान-ए-वफ़ा
मर रहेंगे अगर अब याद आया

फिर कई लोग नज़र से गुज़रे
फिर कोई शहर-ए-तरब याद आया

हाल-ए-दिल हम भी सुनाते लेकिन
जब वो रुख़सत हुए तब याद आया

बैठ कर साया-ए-गुल में "नासिर"
हम बहुत रोये वो जब याद आया