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13:01, 30 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
दिल में जब प्यार का नशा छाया
पंछी पिंजरे में खुद चला आया
सह गया जो ख़िजां के सारे सितम
गुल उसी पेड़ पर नया आया
सबको कह देगा, आँख का काजल
मेरे दिल ने कहाँ सकूँ पाया
क़ैद-ए-सरहद से है वफ़ा आज़ाद
राज़ ये बादलों ने समझाया
आके पहलू में बैठ जा मेरे
“श्रद्धा” अब तो है बस तेरा साया