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दिल मेरा आज भी जवाँ कुछ है / गोविन्द राकेश

दिल मेरा आज भी जवाँ कुछ है
चाहतों का तभी निशाँ कुछ है

पाँव घरती पर हैं टिके जिसके
वो ही जाने कि आसमाँ कुछ है

आग शायद लगे यहाँ पर भी
दिख रहा सामने धुआँ कुछ है

कोशिशें की गयीं बहुत लेकिन
दिल बहलता कहाँ यहाँ कुछ है

झूमने लग गये सभी अब तो
आज बेहतर ज़रा समाँ कुछ है