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दिल मेरा किसका दीवाना है / रंजन कुमार झा

पूछो मत यह दिल मेरा किसका दीवाना है
दिल के इस गुलशन में सबका आना जाना है

जो भी मित्र हमारे हैं, चंदा से शीतल हैं
खरे स्वर्ण के सिक्के सब हैं, मन से निश्छल हैं
सबका इक-दूजे के दिल में ठौर- ठिकाना है

रखते हैं समभाव , सभी 'वादों' से हैं ऊपर
कभी नहीं समझौता करते स्वार्थवशी होकर
ज्ञात है सबको कैसे अपना फ़र्ज़ निभाना है

मेरे मित्रों-सा ही भगवन मित्र सभी को दें
चम-चम चमकें ऐसा धवल चरित्र सभी को दें
यह मन्नत हो गर क़ुबूल तो फिर क्या पाना है