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दिवंगत प्रियजनों के नाम / शर्मिष्ठा पाण्डेय

हास में परिहास में, उपालंभ, उपहास में
तृप्ति में प्यास में, याद तुम ही आते हो

जीवन में, श्वास में, नयनों की आस में
छल में, विश्वास में, याद तुम ही आते हो

सृजन में विनाश में, निरंतर विकास में
सत्य के आभास में, याद तुम ही आते हो

तम में प्रकाश में, प्रीति में प्रयास में
राग में विलास में, याद तुम ही आते हो

दूर आस-पास में, पीड़ा में उल्लास में
क्षिति में आकाश में, याद तुम ही आते हो