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"दीन दशा देखि ब्रज-बालनि की उद्धव कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर
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दीन दशा देखि ब्रज-बालनि की उद्धव कौ, | दीन दशा देखि ब्रज-बालनि की उद्धव कौ, | ||
− | गरिगौ गुमान ज्ञान गौरव गुठाने से । | + | ::गरिगौ गुमान ज्ञान गौरव गुठाने से । |
कहै रतनाकर न आये मुख बैन नैन, | कहै रतनाकर न आये मुख बैन नैन, | ||
− | नीर भरि ल्याए भए सकुचि सिहाने से ॥ | + | ::नीर भरि ल्याए भए सकुचि सिहाने से ॥ |
सूखे से स्रमे से सकबके से सके से थके, | सूखे से स्रमे से सकबके से सके से थके, | ||
− | भूले से भ्रमे से भभरे से भकुवाने से, | + | ::भूले से भ्रमे से भभरे से भकुवाने से, |
हौले से हले से हूल-हूले से हिये मैं हाय, | हौले से हले से हूल-हूले से हिये मैं हाय, | ||
− | हारे से हरे से रहे हेरत हिराने से ॥28॥ | + | ::हारे से हरे से रहे हेरत हिराने से ॥28॥ |
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09:24, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण
दीन दशा देखि ब्रज-बालनि की उद्धव कौ,
गरिगौ गुमान ज्ञान गौरव गुठाने से ।
कहै रतनाकर न आये मुख बैन नैन,
नीर भरि ल्याए भए सकुचि सिहाने से ॥
सूखे से स्रमे से सकबके से सके से थके,
भूले से भ्रमे से भभरे से भकुवाने से,
हौले से हले से हूल-हूले से हिये मैं हाय,
हारे से हरे से रहे हेरत हिराने से ॥28॥