भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दीन दुखियों के लिए ईश्वर से प्रार्थना / मुंशी रहमान खान

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:56, 12 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुंशी रहमान खान |अनुवादक= |संग्रह= ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ईश जीव में भेद यह जिव माया लपटान।
माया ईश न मोहई मायापति भगवान।। 1

ईश जीव से है बड़ा कर उसको परनाम।
हाथ जोरि विनती करहुँ छोड़ मोह मद काम।। 2

सुख दुख दोनहुँ बंधु हैं हैं ईश्‍वर अधीन।
देवहिं ईश्‍वर कर्म फल जो जस करनी कीन।। 3

हे जग करता सब दुख हरता तुम जग पालनहार।
किसी को अति सुख दीन्‍ह तुम किसी को दुख अपार।। 4

सुखियन को दुख में करत दुखियन को सुख देहु।
यह सब प्रभुता आप में तौ हमारि सुनि लेहु।। 5

है दीनन की विनय यह सुनिए दीनदयाल।
काटहु दुख जग दुखिन का जिन कृपाण कराल।। 6

है अपराधी तोर सब भूल कीन्‍ह तन पाय।
क्षमहु नाथ अपराध सब तुम बिनु कौन सहाय।। 7

तोर दीन्‍ह दुख तुम हरहु दुख नाशक तुव नाम।
लाख राज निज नाम की यही विनय वसु याम।। 8

सुखियन को यह उचित है लख दुखियन कर हाल।।
बनें सहायक दुखिन कर देकर धन तत्‍काल।। 9

है दुख सागर अगम यह तुम केवट बलवान।
पार करहुँ प्रभु दुखिन को तुव आशा रहमान।। 10