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दीया बाती बुतलोॅ जाय - लोरी / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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दीया बाती बुतलोॅ जाय,
नूनू आवेॅ सुतलोॅ जाय।
नींदिया रानी चललोॅ आव,
नूनू लुग में गीत सुनाव।
लेले आवें खीर-मिठाय,
हाँसी-हाँसी नूनू खाय।
घोड़ा आवै नूनू लेॅ,
मोती-रथ में जुतलोॅ जाय।
आ गे गैया दूध दहीं,
वैसने जों नै मिलै कहीं।
भैंसी केरोॅ दही जुटाव,
आरो सुरका चूड़ा फाव।
किसिम-किसिम के मीट्ठोॅ-चुक्कोॅ
नूनू सें सब छुतलोॅ जाय।