भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुःख कभी खाली हाथ नहीं आता / प्रदीप जिलवाने

Kavita Kosh से
Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:48, 29 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीप जिलवाने |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> हृदय भर भा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


हृदय भर
       भावुकता
साँस भर
       विकलता
आँख भर
       तरलता
मुट्टी भर
       भरोसा
घर भर
तनाव
शहर भर
अँधेरा
और दुनियाभर की
संतप्तता साथ लाता है
दुःख कभी
खाली हाथ नहीं आता है।
00