दुखों की भीड़ में फँस मुस्कुराना भूल मत जाना ।
बनाया प्यार का बन्धन पुराना भूल मत जाना।।
हजारों कष्ट सह कर भी तुम्हें है लाड़ से पाला
जनक जननी से तुम नाता निभाना भूल मत जाना।।
निराशा के घने बादल उमड़ मन-भूमि पर बरसें
हृदय को आस का दामन थमाना भूल मत जाना।।
अमावस हो घनी काली घिरी हो घोर अँधियारी
नयन में स्वप्न के दीपक जलाना भूल मत जाना।।
बदलते नित्य दल रहते कभी इसमें कभी उसमें
वफ़ा संदिग्ध जिनकी आजमाना भूल मत जाना।।
भरी सामर्थ्य हाथों में शरण हो माँगता कोई
उठा कर कण्ठ से अपने लगाना भूल मत जाना।।
कभी था विश्व गुरु यह देश धरती स्वर्ग से प्यारी
प्रगति सौहार्द्र के सपने सजाना भूल मत जाना।।