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दुनियाँ में तो सब रहते हैं पर / अशेष श्रीवास्तव

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दुनिया में तो सब रहते हैं पर
सबकी दुनियाँ अलग होती है...

जो चीज़ किसी को हो ज़रूरी
वही सबको ज़रूरी नहीं होती है...

यूँ तो दिखते हैं सब एक जैसे
सब की परिस्थिति भिन्न होती है...

किसी दूसरे को देख मत ललचना
हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती है...

क़िस्मत को कोसते ही न बैठिये साहब
ईमानदार कोशिश भी कुछ होती है...

मतलब के सम्बंध लंबे नहीं चलते
सच्ची दोस्ती तो निस्वार्थ ही होती है...

दिमाग तो सबके पास है मगर
सबकी सोच अलग-अलग होती है...