भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दुनिया के लाख दुःख दूर लखी एक मुख / अनिल शंकर झा
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:13, 24 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल शंकर झा |अनुवादक= |संग्रह=अहि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
दुनिया के लाख दुःख दूर लखी एक मुख
पावी लै छी सब सुख झूठ नै बताय छी।
फूलोॅ के सुगंध रं प्रीत केरोॅ सब क्षण
मह-मह तन-मन ऐ सें ही कराय छी।
मदिर लहर पर फूलोॅ केरोॅ सेज पर
हाले-हाले गीत पर सुधि बिसराय छी।
प्रीत तोरोॅ संग लेली पैहलोॅ उमंग लेली
बार-बार देव लोक छोड़ी यहाँ आय छी॥