Last modified on 12 जून 2020, at 17:12

दुनिया में यूँ भी हमने गुज़ारी है ज़िन्दगी / मोहम्मद इरशाद


दुनिया में यूँ भी हमने गुजारी है ज़िन्दगी
अपनी कहाँ है जैसे उधारी है ज़िन्दगी

आवाज़ मुझको ना दे ऐ गुज़रे वक्त सुन
मुश्किल से हमने अपनी सँवारी है ज़िन्दगी

कोई ख़ुशी भी पहलू में आई नहीं कभी
मेरी नज़र में अब भी कुँवारी है ज़िन्दगी

सोचो तो जी रहे है तुम्हारे ही वास्ते
जब चाहो माँग लेना तुम्हारी है ज़िन्दगी

हर एक तन्हा छोड़ के कहता है अलविदा
कितनी ये बदनसीब बेचारी है ज़िन्दगी

कैसा ये बोझ दिल पे तिरे है ज़रा बता
‘इरशाद’ आज इतनी क्यूँ भारी है ज़िन्दगी