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"दुविधा पर जीवन है मस्ती पर चाँदनी / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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दुविधा पर जीवन है मस्ती पर चाँदनी।
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दुविधा पर जीवन है मस्ती पर चाँदनी
 
दामन भर अँधियारा मुट्ठी भर चाँदनी।  
 
दामन भर अँधियारा मुट्ठी भर चाँदनी।  
  
आना जब उसको था मेरे ही दामन तक,
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फिर कैसे भटक गयी पास आकर चाँदनी।  
 
फिर कैसे भटक गयी पास आकर चाँदनी।  
  
कब आये, कब जाये किसको मालूम है,
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कब आये, कब जाये किसको मालूम है
धोखा भी दे जाती है अक्सर चाँदनी।  
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धोखा भी दे जाती है अक्सर चाँदनी।
  
सपने था पाल रहा मन में यह बरसों से,
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सपने था पाल रहा मन में यह बरसों से
 
मुझ से भी तो बोले दो आखर चाँदनी।  
 
मुझ से भी तो बोले दो आखर चाँदनी।  
  
उसमें वो रंगत है, रंगत में जादू है,
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उसमें वो रंगत है, रंगत में जादू है
 
प्राणों को मेरे कर देती तर चाँदनी।  
 
प्राणों को मेरे कर देती तर चाँदनी।  
  
 
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16:34, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

दुविधा पर जीवन है मस्ती पर चाँदनी
दामन भर अँधियारा मुट्ठी भर चाँदनी।

आना जब उसको था मेरे ही दामन तक
फिर कैसे भटक गयी पास आकर चाँदनी।

कब आये, कब जाये किसको मालूम है
धोखा भी दे जाती है अक्सर चाँदनी।

सपने था पाल रहा मन में यह बरसों से
मुझ से भी तो बोले दो आखर चाँदनी।

उसमें वो रंगत है, रंगत में जादू है
प्राणों को मेरे कर देती तर चाँदनी।