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दुश्मन-दोस्त सभी कहते हैं, बदला नहीं हूं मैं / शहरयार
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दुश्मन-दोस्त सभी कहते हैं, बदला नहीं हूं मैं।
तुझसे बिछड के क्यों लगता है, तनहा नहीं हूं मैं।
उम्र-सफश्र में कब सोचा था, मोड ये आयेगा।
दरिया पार खडा हूं गरचे प्यासा नहीं हूं मैं।
पहले बहुत नादिम था लेकिन आज बहुत खुश हूं।
दुनिया-राय थी अब तक जैसी वैसा नहीं हूं मैं।
तेरा लासानी होना तस्लीम किया जाए।
जिसको देखो ये कहता है तुझसा नहीं हूं मैं।
ख्वाबतही कुछ लोग यहां पहले भी आये थे।
नींद-सराय तेरा मुसाफिश्र पहला नहीं हूं मैं।