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दूब का डांडळा अकाव का फूल / निमाड़ी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दूब का डांडळा अकाव का फूल,
राणी ओ मोठी बहू अरघ देवाय।
अरघ दई नऽ वर पाविया,
अमुक सरीका भरतार।
आतुली पातुली, लाओ रे गंगाजल पाणी,
न्हावण करऽ रनुबाई राणी।
रनुबाई, रनुबाई, खोलो किवाड़,
पूजण वाळई ऊभी दुवार।
पूजण वाळई काई माँगऽ।
दूध, पूत, अहवात माँगऽ।
हटियाळो बाळो माँगऽ।
जटियाळो भाई माँगऽ।
बहू को रांध्यो माँगऽ।
बेटी को परोस्यो माँगऽ।
टोंगळया बुडन्तो गोबर माँगऽ।
पोयचा बुड़न्तो गोरस माँगऽ।
पूत की कमाई माँगऽ।
धणी को राज माँगऽ।
सोन्ना सी सरवर गऊर पूजा हो रनादेव।
माय नऽ बेटी गऊर पूजा हो रनादेव।
नणंद भौजाई गऊर पूजा हो रनादेव।
देराणी जेठाणी गऊर पूजा हो रनादेव।
सास न बहू गऊर पूजा हो रनादेव।
अड़ोसेण पड़ोसेण गऊर पूजा हो रनादेव।
पड़ोसेण पर टूट्यो गरबो भान हो रनादेव।
दूध केरी दवणी मजघर हो रनादेव।
पूत केरो पालणो पटसाळ हो रनादेव।
असी पत टूट्यो गरबो भान हो रनादेव।