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दूर और पास / अमिताभ बच्चन

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एक दूरी से बेटी जानती है वह माँ के साथ है
बेटी कहती है ये दूरी नितान्त ज़रूरी है
इसी नतीजे पर माँ भी पहुँची है
दोनों कहती हैं सबका अपना जीवन है
दोनों ने मान लिया है कि साथ रहेंगे तो
खटमल की तरह एक-दूसरे का ख़ून पीएँगे
दोनों को लगता है कि हाँ, वे हैं एक दूसरे के लिए
मगर दोनों हँसकर कहती हैं कि दूर रहकर वे ज़्यादा पास हैं
कितनी दूरी पर निकटता का अहसास बना रहेगा
ये छल-बल से तय होता है हर बार
ये तय होता है माँ-बेटी की बाज़ीगरी से
दोनों इस छल-बल और बाजीगरी में पूरी दुनिया को खींच लाती हैं
दोनों दूर होकर भी पास रहने की विकट कला रोज़ सीखती हैं
उनकी आज़ादी और प्यार के बचे रहने की
सबसे ज़रूरी शर्त आख़िर ये दूरी क्यों है
दूरी में अपनी भलाई देखने वाली इन अभिशप्त माँ-बेटियों से
कब मुक्त होगी ये दुनिया
लोग कब मन ही मन ये बुदबुदाना छोड़ेंगे
कि हाँ, दूर रहने में ही भलाई है
कि हाँ, दूर रहने में ही भलाई है