http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%A6%E0%A5%82%E0%A4%B0_%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%9C_%E0%A4%AA%E0%A4%B0_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C_%E0%A4%9A%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AC%E0%A4%B9_%E0%A4%96%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80_%E0%A4%B9%E0%A5%88_%E0%A4%86%E0%A4%A8%E0%A5%87_%E0%A4%95%E0%A5%8B_/_%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%A4%E0%A4%AE_%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%80&feed=atom&action=historyदूर क्षितिज पर सूरज चमका सुबह खड़ी है आने को / गौतम राजरिशी - अवतरण इतिहास2024-03-29T10:31:01Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%A6%E0%A5%82%E0%A4%B0_%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%9C_%E0%A4%AA%E0%A4%B0_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C_%E0%A4%9A%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AC%E0%A4%B9_%E0%A4%96%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80_%E0%A4%B9%E0%A5%88_%E0%A4%86%E0%A4%A8%E0%A5%87_%E0%A4%95%E0%A5%8B_/_%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%A4%E0%A4%AE_%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%80&diff=201909&oldid=prevGautam rajrishi: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गौतम राजरिशी |संग्रह=पाल ले इक रो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2016-03-07T13:22:33Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गौतम राजरिशी |संग्रह=पाल ले इक रो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
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{{KKRachna<br />
|रचनाकार=गौतम राजरिशी<br />
|संग्रह=पाल ले इक रोग नादाँ / गौतम राजरिशी<br />
}}<br />
{{KKCatGhazal}}<br />
<poem><br />
दूर क्षितिज पर सूरज चमका, सुब्ह खड़ी है आने को<br />
धुंध हटेगी, धूप खिलेगी, वक़्त नया है छाने को<br />
<br />
साहिल पर यूँ सहमे-सहमे वक़्त गंवाना क्या यारों<br />
लहरों से टकराना होगा पार समन्दर जाने को<br />
<br />
पेड़ों की फुनगी पर आकर बैठ गयी जो धूप ज़रा<br />
आँगन में ठिठकी सर्दी भी आये तो गरमाने को<br />
<br />
हुस्नो-इश्क़ पुरानी बातें, कैसे इनसे शेर सजे<br />
आज ग़ज़ल तो तेवर लायी सोती रूह जगाने को<br />
<br />
टेढ़ी भौंहों से तो कोई बात नहीं बनने वाली<br />
मुट्ठी कब तक भीचेंगे हम, हाथ मिले याराने को<br />
<br />
वक़्त गुज़रता सिखलाता है, भूल पुरानी बातें सब<br />
साज़ नया हो, गीत नया हो, छेड़ नये अफ़साने को<br />
<br />
अपने हाथों की रेखायें कर ले तू अपने वश में<br />
तेरी रूठी किस्मत "गौतम" आये कौन मनाने को<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
(अहा ज़िंदगी जुलाई 2011, लफ़्ज़ सितम्बर-नवम्बर 2009)</div>Gautam rajrishi