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दूर पपीहा बोला रात आधी रह गई / गोपाल सिंह नेपाली

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दूर पपीहा बोला रात आधी रह गई
मेरी तुम्हारी मुलाक़ात बाक़ी रह गई

मेरा मन है उदास जिया मंद मंद है
बादलों के घेरे में चाँद नज़रबंद है
बादल आये पर बरसात बाक़ी रह गई
मेरी तुम्हारी मुलाक़ात बाक़ी रह गयी

दूर पपीहा बोला...

आँख मिचौली खेली, झूला झूम के झूले
बन में चमेली फूली, हम बहार में भूले
पर देनी थी जो सौगात बाक़ी रह गई
मेरी तुम्हारी मुलाक़ात बाक़ी रह गई

दूर पपीहा बोला रात आधी रह गई
मेरी तुम्हारी मुलाक़ात बाक़ी रह गई

(1948) फ़िल्म 'गजरे'