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दूसरे / सुदर्शन प्रियदर्शिनी


दूसरों को
चुभे कांटे
दूसरे चलें
आग के दरिया पर
दूसरे जूझें
आँधियों के
जंगलों से
दूसरें ढोयें
दूसरों का मलाल
झेलें राजनीती की
चरखड़ी पे चढ़ कर
तलवारों का वार
सब ठीक है ...
क्यों कि
यह मेरी
चार दीवारी
से बाहर है
में सुरक्षित हूँ ...