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देखऽ आगे का होवऽ हे? / सच्चिदानंद प्रेमी

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देखऽ आगे का होवऽ हे?
ढोल बजा के गुरू जी सब दिन
ज्ञान-ज्ञान के खेल रचावत
अंते वासि कल वल छल में
गुरू गोविन के माल पचावथ
गुरूजी चेला पर नित रोवथ
चेला जिंदगी भर रोवऽ हे
देखा आगे क्या क्या होवऽ हे?