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देखा है तुम्हें जब से / तेजेन्द्र शर्मा

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देखा है तुम्हें जब से मुझे चैन न आए
तक़दीर बदल जाए जो तू मुझ को बुलाए

आंखों में तेरी प्यार की ख़ुशबू का बसेरा
मुस्कान तेरी करती है, जीवन में सवेरा
आवाज़ तेरी जैसे कोई साज़ बजाए

है चाल में मस्ती तेरी क्या ख़ूब अदा है
लगता है तेरे हुस्न पे संसार फ़िदा है
ज़ुल्फ़े तेरी बिखरें तो घटा ख़ुद से लजाए

ऐ हुस्न तूने इश्क को कर डाला दिवाना
हर हाल में चाहूँ मैं तुझे अपना बनाना
वीरानी हटे जो तू, मेरे घर को बसाए