देखु सखी, नव छैल छबीलो प्रात समै इततें को आवै?
कमल समान बदृग जाके, स्याम सलोनो मृदु मुसकावै ॥
जाकी सुंदरता जग बरनत, मुख सोभा लखि चंद लजावै।
'नारायन' यह किधौं वही है, जो जसुमति को कुंवर कहावै?
देखु सखी, नव छैल छबीलो प्रात समै इततें को आवै?
कमल समान बदृग जाके, स्याम सलोनो मृदु मुसकावै ॥
जाकी सुंदरता जग बरनत, मुख सोभा लखि चंद लजावै।
'नारायन' यह किधौं वही है, जो जसुमति को कुंवर कहावै?