भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

देखे मैं छबी आज अति बिचित्र हरिकी / सूरदास

Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:17, 21 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} {{K...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देखे मैं छबी आज अति बिचित्र हरिकी ॥ध्रु०॥
आरुण चरण कुलिशकंज । चंदनसो करत रंग।
सूरदास जंघ जुगुली खंब कदली । कटी जोकी हरिकी ॥१॥
उदर मध्य रोमावली । भवर उठत सरिता चली ।
वत्सांकित हृदय भान । चोकि हिरनकी ॥२॥
दसनकुंद नासासुक । नयनमीन भवकार्मुक ।
केसरको तिलक भाल । शोभा मृगमदकी ॥३॥
सीस सोभे मयुरपिच्छ । लटकत है सुमन गुच्छ ।
सूरदास हृदय बसे । मूरत मोहनकी ॥४॥