Last modified on 5 अक्टूबर 2012, at 13:56

देख हमैं सब आपुस में जो कुछ मन भावै सोई कहती हैं / नेवाज़

देख हमैं सब आपुस में जो कुछ मन भावै सोई कहती हैं.
ये घरहाई लुगाई सबै निसि द्यौस नेवाज हमें दहती हैं.
बातें चवाव भरी सुनिकै रिस आवति,पै चुप ह्वै रहती हैं.
कान्ह पियारे तिहारे लिये सिगरे ब्रज को हँसिबो सहती हैं.