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देवी वन्दना / यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम'

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काहे कों कियो है अम्बे तैनें ये बिलम्ब आज,
कर दै इस्तम्भ सत्रु सस्त्र-अस्त्र बल कों।

साधना तिहारी में जु बाधक बने हैं जेते,
भौन ते निकारि बेगि उन हीं के दल कों।

'प्रीतम' सरन रन टारि कें सु पूर्न प्रन,
दृन दया दृष्टि ते दलन कर खल कों।



कामना की काम धेनु तुम्हीं एक जग माँहि,
पूरौ आज मेरी मातु कामना प्रबल कों।।