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"देसूंटो-5 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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हां, मिनख ई
+
लाधै आपरै घर मांय
घड़ सकै
+
आपरै देस मांय
माटी रो मिनख
+
अरथ री ठौड़ अरथ
  
थूं रैवै भलाई
+
सबद रो
किणी दूजै अदीठ-देस
+
कोई-कोई अरथ
पण रैवै
+
हुवै सुपनो
इणी देस-
+
अर सिरजक
थारी आसीस लियां
+
सूंपै सबद नैं- सुपनो
म्हारी सांस
+
म्हारा सुपना
+
  
म्हैं गिणूं
+
ओ देस है
थनै म्हारै मांय-बारै
+
सुपनां रो देस
पूजूं थनै
+
जाणूं-
+
पूजा कोनी
+
थारो मोल
+
  
नीं मांगै सिरजक  
+
सिरजक री नींद मांय
किणी रचना सूं
+
है केई-केई देस
आपरो मोल
+
केई-केई सुपना
कोनी किणी रै बूतै में
+
अर सुपनां मांय है
कै चुकावै मोल
+
केई-केइ देस
कोई मोल
+
नीं छोडै लारो सुपना
 +
देस रै छोड्यां ई
  
तोल-मोल सूं बारै
+
सुपनां री रिंधरोही
राखै थूं टाबरपणै
+
बण परो अरथ
बणां म्हे टाबर-समझबायरा
+
म्हैं जोवूं-
अेक देस है
+
अरूप आंख नैं
टाबरपणो ईज
+
  
हां ओ ई’ज है
+
अरूप आंख पाखती है-
बो देस
+
सबद, सुपना अर सांच
जठै लाधै
+
बैंवती नदियां
+
दूध री
+
सुपनां री
+
अर सांच री
+
  
म्हे जीवां
+
केई-केई सबद
इण देसूंटै
+
लुक जावै सबद मांय
राजी-खुसी
+
जोयां लाधै कोनी
सोच-फिकर सूं दूर
+
पण बै हुवै
बैठ बगत-गाडी
+
आपरी सागण ठौड़
निकळां आयां रूत रै
+
-जोवणिया पांतरै मारग
अेक दिन अदेर
+
  
‘देस’ सबद रो अरथ
+
सुपना कीं नीं बोलै
मा खातर-
+
सबद है जिका
घर है
+
जे बकार लेवां
आपरो घर
+
सुपनां रा भेद खोलै
 +
सांच री माळा रा
 +
मिणिया हुवै सबद
 +
सबद ई कर्या करै
 +
सबदां रो अरथ
 +
सबदां रो अनरथ
  
म्हैं जोवूं-
+
सबदां रै पाळै बसै-
बो घर
+
कथ-अरथ
जिण घर सूं
+
रूप-अरूप
म्हैं आयो इण घर
+
सुपना अर सांच
  
मा नैं
+
सुपनां रै नीवड़ियां
घर छोड’र आपरो
+
सामीं खुल जावै
दूजी जागा
+
अदीठ मांय लुक्योड़ो
आवै कोनी नींद
+
कोई दूजो देस
 +
कोई दूजो सांच
 +
ओ देस
 +
विदाई री वेळा
 +
आपरी आंख्यां लुको लेवै
 +
अर अेक दिन
 +
खासा-खासा लारै छूट जावै
 +
छेकड़ हुय जावै-
 +
ओ देस अदीठ
  
मा नीं जाणै
+
अदीठ मांय
इण घर मांय
+
ठाह नीं पड़ै
रात-रात सदीव
+
कुण करै है-
करूं म्हैं ओझका
+
उलट-पुलट, ऊंधा-पाधरा
  
जाणै आखी रात
+
बगत री पगडांडी माथै
पोढण नैं तो
+
कोनी पलटियो कोई पाछो
म्है पोढूं सदीव
+
इण जूण
पण लाधै कोनी-
+
सागी पगां
नींद म्हनै
+
सागी भेख
  
नींद नैं जोवतो
+
ठाह नीं
नींद नै रोवतो
+
थूं किण-किण देस
इतरो भटकूं
+
भटकाई म्हारी सांस नैं
इतरो भटकूं
+
दौड़ै सांस म्हारी
कै हुय जावूं-
+
म्है अचेत
+
  
सदीव-सदीव
+
म्हैं भटकूं देस-देस
पूगूं म्हैं
+
जोवूं ठौड़-ठौड़
जाणै कूड़ी-कूड़ी
+
सांस म्हारी
दरवाजै नींद रै
+
सांस रा तागा
 +
तागा, तागा-तागा
 +
खिंडाया थूं
 +
ठाह नीं किण-किण देस
 +
पूगूंला म्हैं कठै-कठै
 +
ठाह नीं किण-किण भेख
 +
थूं ई पूगावैला बठै-बठै
 +
दाणो-पाणी लिख्यो है जठै-जठै
  
अजै नीं खोळसी-
+
करूं म्हैं जुद्ध
म्हैं थारी नींद
+
सवालां रै रणखेत
म्हारै अचेतै
+
क्यूं अर क्यूं
नींद म्हनै नीं
+
मिलै बारम्बार देसूंटो
थारै सुपनां नै लेय जावै
+
  
म्हैं अणजाण- परबस
+
थूं कद लगावै
जाणै धरती री
+
ठाह नीं पड़ै
किणी चोर-जेब मांय
+
जीवण-जुद्ध बिचाळै
सुपना अर सांस मिल परा
+
सांस मांय ऊदाई
लुको’र राखी हुवै-
+
म्हारी नींद
+
  
म्हारै पींजरै मांय
+
थांरो समदर
घुस नीं सकै नींद
+
रैवै भर्यो !
स्यात् नींद खुद है
+
भर्यो ही रैवैलो
किणी पींजरै मांय
+
नीं हुय सकै
ओ घर
+
कदैई खाली  ?
कोनी म्हारो
+
सगळी ऊदाई
तद किंयां हुय सकै है-
+
थारै पाखती !
नींद म्हारी
+
  
खुद रै जच्यां ई
+
अरूप रै नीं लागै
म्हैं नीं पूग सकूं
+
रूप रै लागै ऊदाई
म्हारी नींद तांई
+
पूगैला नींद खुद ई’ज
+
अेक दिन म्हारै तांई
+
  
नेड़ै राख्यां ई
+
भासा रै नीं लागै
नवूं दरवाजा
+
जीभ रै लागै ऊदाई
खुलै कोनी
+
बिना चाबी रै  
+
कोई पींजरो
+
  
कांई ठाह
+
सगळा रा सगळा सबद
आवैला नींद
+
बसै थारै मांय
किसै दरवाजै
+
थूं सबदकोस नीं
तो परी
+
सबद सोधणवाळी आंख है
सांकळ सांस री
+
नीं रैया सकै
 +
थारै सूं अणजाण-
 +
अनरथ करणिया सबद
  
रूं-रूं में लाधै
+
अंतरीख मांय
अणनांप दरवाजा
+
सागळां सूं पैली
काया सूं पैली
+
हुयो अेक सबद अरूप
पण कोनी तूटै
+
उण रो ई हुयो हुवैला
हदभांत पक्का थारा
+
कोई अरथ अरूप
अै दरवाजा
+
सबद ई कर्यो हुवैला
 +
आपरो अरथ अरूप
  
इण देस मांय
+
अेक सबद सूं जलमिया-
रिस्ता अर अपणयात
+
अनेक सबद अरूप
इतरा भटकावै
+
अनेक अरथ अरूप
कै लखावै-
+
 
ईज है
+
सबदां सूं ईज से
बो देस
+
चेतन हुया अरथ
म्हारो देस
+
अर बणग्या सुपना
जावै इण रै
+
 
कोनी आगै-लारै
+
ढळग्या सांस-सांस अरूप
कोई दूजो देस
+
 
कोई दूजो घर
+
नीं लाधै अठै-
कोई दूजो सुपनो
+
असली अरूप
कोई दूजो सांच
+
जद बणै भींत
अर कोई दूजो अरथ
+
सामीं ऊभै-
 +
सबद
 +
अरथ  
 +
सुपना
 +
अर सांस
 +
 
 +
रूप भेळै
 +
थूं राखै-
 +
अरूप-रूप
  
कठै है ?
+
दीठ भेळै
अठै कठै है ?
+
थूं राखै-
म्हारी सांस वाळो
+
अदीठ-दीठ
म्हारो देस
+
असली देस
+
  
थारै खुद रै हाथां
+
थूं दीवी जिकी दीठ
जठै थूं करी
+
उण मांय कोनी आवै-
पैल-पोत म्हारी
+
अदीठ !
पैली थरपणा
+
बो है घर म्हारो
+
बठै म्हारी नींव
+
  
दियो म्हनै
+
सांवरा !  
जठै सूं थूं
+
रूप रै देस
हां पैल-पोत-
+
थारो है अेक रूप
पैलो देसूंटो !
+
बो है घर म्हारो
+
बठै है म्हारी नींव
+
  
ठाह ई’ज नी पड़ी
+
अठै है
मिल्यो जद म्हनै-
+
केई-केई रूप थारा !
पेलो देसूंटो !
+
थारै अेक रूप सूं
 +
सांचै रै पाण
 +
रचीज्या रूप अनेक!
  
इण देस मांय
+
म्हैं थरो रूप हूं
सगपण सजियो सांस रो
+
इण रो मतलब
जलमियो म्हैं
+
म्हारै सांस है कठैई-
अेक नूंवै भेख
+
थारो ई रूप
 
</poem>
 
</poem>

19:59, 26 जून 2017 का अवतरण

लाधै आपरै घर मांय
आपरै देस मांय
अरथ री ठौड़ अरथ

सबद रो
कोई-कोई अरथ
हुवै सुपनो
अर सिरजक
सूंपै सबद नैं- सुपनो

ओ देस है
सुपनां रो देस

सिरजक री नींद मांय
है केई-केई देस
केई-केई सुपना
अर सुपनां मांय है
केई-केइ देस
नीं छोडै लारो सुपना
देस रै छोड्यां ई

सुपनां री रिंधरोही
बण परो अरथ
म्हैं जोवूं-
अरूप आंख नैं

अरूप आंख पाखती है-
सबद, सुपना अर सांच

केई-केई सबद
लुक जावै सबद मांय
जोयां लाधै कोनी
पण बै हुवै
आपरी सागण ठौड़
-जोवणिया पांतरै मारग

सुपना कीं नीं बोलै
सबद है जिका
जे बकार लेवां
सुपनां रा भेद खोलै
सांच री माळा रा
मिणिया हुवै सबद
सबद ई कर्या करै
सबदां रो अरथ
सबदां रो अनरथ

सबदां रै पाळै बसै-
कथ-अरथ
रूप-अरूप
सुपना अर सांच

सुपनां रै नीवड़ियां
सामीं खुल जावै
अदीठ मांय लुक्योड़ो
कोई दूजो देस
कोई दूजो सांच
ओ देस
विदाई री वेळा
आपरी आंख्यां लुको लेवै
अर अेक दिन
खासा-खासा लारै छूट जावै
छेकड़ हुय जावै-
ओ देस अदीठ

अदीठ मांय
ठाह नीं पड़ै
कुण करै है-
उलट-पुलट, ऊंधा-पाधरा

बगत री पगडांडी माथै
कोनी पलटियो कोई पाछो
इण जूण
सागी पगां
सागी भेख

ठाह नीं
थूं किण-किण देस
भटकाई म्हारी सांस नैं
दौड़ै सांस म्हारी

म्हैं भटकूं देस-देस
जोवूं ठौड़-ठौड़
सांस म्हारी
सांस रा तागा
तागा, तागा-तागा
खिंडाया थूं
ठाह नीं किण-किण देस
पूगूंला म्हैं कठै-कठै
ठाह नीं किण-किण भेख
थूं ई पूगावैला बठै-बठै
दाणो-पाणी लिख्यो है जठै-जठै

करूं म्हैं जुद्ध
सवालां रै रणखेत
क्यूं अर क्यूं
मिलै बारम्बार देसूंटो

थूं कद लगावै
ठाह नीं पड़ै
जीवण-जुद्ध बिचाळै
सांस मांय ऊदाई

थांरो समदर
रैवै भर्यो !
भर्यो ही रैवैलो
नीं हुय सकै
कदैई खाली  ?
सगळी ऊदाई
थारै पाखती !

अरूप रै नीं लागै
रूप रै लागै ऊदाई

भासा रै नीं लागै
जीभ रै लागै ऊदाई

सगळा रा सगळा सबद
बसै थारै मांय
थूं सबदकोस नीं
सबद सोधणवाळी आंख है
नीं रैया सकै
थारै सूं अणजाण-
अनरथ करणिया सबद

अंतरीख मांय
सागळां सूं पैली
हुयो अेक सबद अरूप
उण रो ई हुयो हुवैला
कोई अरथ अरूप
सबद ई कर्यो हुवैला
आपरो अरथ अरूप

अेक सबद सूं जलमिया-
अनेक सबद अरूप
अनेक अरथ अरूप

सबदां सूं ईज से
चेतन हुया अरथ
अर बणग्या सुपना

ढळग्या सांस-सांस अरूप

नीं लाधै अठै-
असली अरूप
जद बणै भींत
सामीं ऊभै-
सबद
अरथ
सुपना
अर सांस

रूप भेळै
थूं राखै-
अरूप-रूप

दीठ भेळै
थूं राखै-
अदीठ-दीठ

थूं दीवी जिकी दीठ
उण मांय कोनी आवै-
अदीठ !

सांवरा !
रूप रै देस
थारो है अेक रूप

अठै है
केई-केई रूप थारा !
थारै अेक रूप सूं
सांचै रै पाण
रचीज्या रूप अनेक!

म्हैं थरो रूप हूं
इण रो मतलब
म्हारै सांस है कठैई-
थारो ई रूप