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देसूंटो-5 / नीरज दइया

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हां, मिनख ई
घड़ सकै
माटी रो मिनख

थूं रैवै भलाई
किणी दूजै अदीठ-देस
पण रैवै
इणी देस-
थारी आसीस लियां
म्हारी सांस
म्हारा सुपना

म्हैं गिणूं
थनै म्हारै मांय-बारै
पूजूं थनै
जाणूं-
पूजा कोनी
थारो मोल

नीं मांगै सिरजक
किणी रचना सूं
आपरो मोल
कोनी किणी रै बूतै में
कै चुकावै मोल
कोई मोल

तोल-मोल सूं बारै
राखै थूं टाबरपणै
बणां म्हे टाबर-समझबायरा
अेक देस है
टाबरपणो ईज

हां ओ ई’ज है
बो देस
जठै लाधै
बैंवती नदियां
दूध री
सुपनां री
अर सांच री

म्हे जीवां
इण देसूंटै
राजी-खुसी
सोच-फिकर सूं दूर
बैठ बगत-गाडी
निकळां आयां रूत रै
अेक दिन अदेर

‘देस’ सबद रो अरथ
मा खातर-
घर है
आपरो घर

म्हैं जोवूं-
बो घर
जिण घर सूं
म्हैं आयो इण घर

मा नैं
घर छोड’र आपरो
दूजी जागा
आवै कोनी नींद

मा नीं जाणै
इण घर मांय
रात-रात सदीव
करूं म्हैं ओझका

जाणै आखी रात
पोढण नैं तो
म्है पोढूं सदीव
पण लाधै कोनी-
नींद म्हनै

नींद नैं जोवतो
नींद नै रोवतो
इतरो भटकूं
इतरो भटकूं
कै हुय जावूं-
म्है अचेत

सदीव-सदीव
पूगूं म्हैं
जाणै कूड़ी-कूड़ी
दरवाजै नींद रै

अजै नीं खोळसी-
म्हैं थारी नींद
म्हारै अचेतै
नींद म्हनै नीं
थारै सुपनां नै लेय जावै

म्हैं अणजाण- परबस
जाणै धरती री
किणी चोर-जेब मांय
सुपना अर सांस मिल परा
लुको’र राखी हुवै-
म्हारी नींद

म्हारै पींजरै मांय
घुस नीं सकै नींद
स्यात् नींद खुद है
किणी पींजरै मांय
ओ घर
कोनी म्हारो
तद किंयां हुय सकै है-
नींद म्हारी

खुद रै जच्यां ई
म्हैं नीं पूग सकूं
म्हारी नींद तांई
पूगैला नींद खुद ई’ज
अेक दिन म्हारै तांई

नेड़ै राख्यां ई
नवूं दरवाजा
खुलै कोनी
बिना चाबी रै
कोई पींजरो

कांई ठाह
आवैला नींद
किसै दरवाजै
तो परी
सांकळ सांस री

रूं-रूं में लाधै
अणनांप दरवाजा
काया सूं पैली
पण कोनी तूटै
हदभांत पक्का थारा
अै दरवाजा

इण देस मांय
रिस्ता अर अपणयात
इतरा भटकावै
कै लखावै-
ओ ईज है
बो देस
म्हारो देस
जावै इण रै
कोनी आगै-लारै
कोई दूजो देस
कोई दूजो घर
कोई दूजो सुपनो
कोई दूजो सांच
अर कोई दूजो अरथ

कठै है ?
अठै कठै है ?
म्हारी सांस वाळो
म्हारो देस
असली देस

थारै खुद रै हाथां
जठै थूं करी
पैल-पोत म्हारी
पैली थरपणा
बो है घर म्हारो
बठै म्हारी नींव

दियो म्हनै
जठै सूं थूं
हां पैल-पोत-
पैलो देसूंटो !
बो है घर म्हारो
बठै है म्हारी नींव

ठाह ई’ज नी पड़ी
मिल्यो जद म्हनै-
पेलो देसूंटो !

इण देस मांय
सगपण सजियो सांस रो
जलमियो म्हैं
अेक नूंवै भेख