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देसूंटो-5 / नीरज दइया

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लाधै आपरै घर मांय
आपरै देस मांय
अरथ री ठौड़ अरथ

सबद रो
कोई-कोई अरथ
हुवै सुपनो
अर सिरजक
सूंपै सबद नैं- सुपनो

ओ देस है
सुपनां रो देस

सिरजक री नींद मांय
है केई-केई देस
केई-केई सुपना
अर सुपनां मांय है
केई-केइ देस
नीं छोडै लारो सुपना
देस रै छोड्यां ई

सुपनां री रिंधरोही
बण परो अरथ
म्हैं जोवूं-
अरूप आंख नैं

अरूप आंख पाखती है-
सबद, सुपना अर सांच

केई-केई सबद
लुक जावै सबद मांय
जोयां लाधै कोनी
पण बै हुवै
आपरी सागण ठौड़
-जोवणिया पांतरै मारग

सुपना कीं नीं बोलै
सबद है जिका
जे बकार लेवां
सुपनां रा भेद खोलै
सांच री माळा रा
मिणिया हुवै सबद
सबद ई कर्या करै
सबदां रो अरथ
सबदां रो अनरथ

सबदां रै पाळै बसै-
कथ-अरथ
रूप-अरूप
सुपना अर सांच

सुपनां रै नीवड़ियां
सामीं खुल जावै
अदीठ मांय लुक्योड़ो
कोई दूजो देस
कोई दूजो सांच
ओ देस
विदाई री वेळा
आपरी आंख्यां लुको लेवै
अर अेक दिन
खासा-खासा लारै छूट जावै
छेकड़ हुय जावै-
ओ देस अदीठ

अदीठ मांय
ठाह नीं पड़ै
कुण करै है-
उलट-पुलट, ऊंधा-पाधरा

बगत री पगडांडी माथै
कोनी पलटियो कोई पाछो
इण जूण
सागी पगां
सागी भेख

ठाह नीं
थूं किण-किण देस
भटकाई म्हारी सांस नैं
दौड़ै सांस म्हारी

म्हैं भटकूं देस-देस
जोवूं ठौड़-ठौड़
सांस म्हारी
सांस रा तागा
तागा, तागा-तागा
खिंडाया थूं
ठाह नीं किण-किण देस
पूगूंला म्हैं कठै-कठै
ठाह नीं किण-किण भेख
थूं ई पूगावैला बठै-बठै
दाणो-पाणी लिख्यो है जठै-जठै

करूं म्हैं जुद्ध
सवालां रै रणखेत
क्यूं अर क्यूं
मिलै बारम्बार देसूंटो

थूं कद लगावै
ठाह नीं पड़ै
जीवण-जुद्ध बिचाळै
सांस मांय ऊदाई

थांरो समदर
रैवै भर्यो !
भर्यो ही रैवैलो
नीं हुय सकै
कदैई खाली  ?
सगळी ऊदाई
थारै पाखती !

अरूप रै नीं लागै
रूप रै लागै ऊदाई

भासा रै नीं लागै
जीभ रै लागै ऊदाई

सगळा रा सगळा सबद
बसै थारै मांय
थूं सबदकोस नीं
सबद सोधणवाळी आंख है
नीं रैया सकै
थारै सूं अणजाण-
अनरथ करणिया सबद

अंतरीख मांय
सागळां सूं पैली
हुयो अेक सबद अरूप
उण रो ई हुयो हुवैला
कोई अरथ अरूप
सबद ई कर्यो हुवैला
आपरो अरथ अरूप

अेक सबद सूं जलमिया-
अनेक सबद अरूप
अनेक अरथ अरूप

सबदां सूं ईज से
चेतन हुया अरथ
अर बणग्या सुपना

ढळग्या सांस-सांस अरूप

नीं लाधै अठै-
असली अरूप
जद बणै भींत
सामीं ऊभै-
सबद
अरथ
सुपना
अर सांस

रूप भेळै
थूं राखै-
अरूप-रूप

दीठ भेळै
थूं राखै-
अदीठ-दीठ

थूं दीवी जिकी दीठ
उण मांय कोनी आवै-
अदीठ !

सांवरा !
रूप रै देस
थारो है अेक रूप

अठै है
केई-केई रूप थारा !
थारै अेक रूप सूं
सांचै रै पाण
रचीज्या रूप अनेक!

म्हैं थरो रूप हूं
इण रो मतलब
म्हारै सांस है कठैई-
थारो ई रूप