भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"देसूंटो-6 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=देसूंटो / नीरज द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
 
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
 
{{KKCatKavita‎}}<poem>
 
{{KKCatKavita‎}}<poem>
हां, ओ ईज है-
+
थारै रंगां सूं
म्हारो देस
+
प्रगटिया रूप
पण पूग्यो अठै म्हैं
+
लीकां-लीकां मंडिया रूप
थारै बीं देस सूं
+
सबदां मांय ढळिया रूप
बो है घर म्हारो
+
बठै है नींव म्हारी
+
  
असल मांय
+
म्है हुवणो चावूं
कीं नीं है
+
खाली अर खाली
इण देस मांय
+
करूं काढ बारै-
घर मांय
+
स्सौ कीं थारो-म्हारो
जे टाळ
+
जोवूं उण मांय-
करां अलायदा-
+
रूप थारो
दोय रंगा नै
+
रूप म्हारो
नीं हुय सकै-
+
म्हारै सगळै सुपनां रो
+
कोई तीजो रंग
+
  
काळो रंग
+
बसै देस
जद लेवै सीख
+
सांसा मांय
उगटै आपी-आप
+
गूंथीज परो
रंग धोळो
+
मांय म्हारै
अर उजास
+
म्हारी मुगती बीना
जठै भूलै मारग
+
कोनी मुगती थारी
काळूंठा हुय’र
+
छिटक जावे सेमूंढै
+
आंख री हद सूं बारै
+
सगळा रा सगळा
+
सुपना म्हारा
+
  
सुपना म्हारा
+
मिलै हजार देसूंटा
कदास कूड़ हुवैला
+
पण रैवै अठै अखंड
का फेर हुय सकै-
+
थारा देस
अेक दिन सांच
+
केई-केई देस
पण सांस
+
जद हुय जावै कूड़
+
सुपना रैय जावै
+
घणा-घणा दूर
+
  
सांस नीं थमै
+
थारी आ दुनिया
जाणै फगत सांस
+
जिŸाी दीसै बारै
म्हारी दुनिया रै
+
उण सूं बती है
आखै अंधार-पख मांय
+
मांय म्हारै !
है कठै-कठै उजास
+
  
सूरज दांई
+
म्हैं देस मांय
ऊगै-बिसूंजै सांस
+
अर देस है मांय म्हारै !!
ओ जीवण है
+
जाणै नित आवै-जावै-
+
उजास अंधार
+
  
अठै अमिट अगन थारी
+
कोई नीं हुय सकै
छेकड़ बचै कोनी कोई
+
थारै सरीखो
किण विध सुणूं-
+
न्यारो-निरवाळो
म्हैं थारी देस-राग
+
अर निरमोही
 +
आपरी दुनिया सूं
 +
आपरै देस सूं
  
राग-रंग
+
कोई नीं रैय सकै
उजास रा
+
छोड’र बारै
अंधार रा
+
आपरी दुनिया नैं
धरती रा
+
आपरै देस नैं
आभै रा
+
भलाई मिलै देसूंटो
स्सौ कीं थारा
+
अर थूं अदीठ
+
  
रैवैला म्हारी दीठ सूं
+
जद-जद भरूं
थूं अदीठ
+
देस नैं आंख्यां मांय
इण री ठाह हुवै
+
भरीज जावै देस
अर ठाह नीं हुवै
+
  
म्हैं अेकलो
+
देस-देस लाधैला
कोनी अेक इकाई
+
कठैई तो थनै
प्रेम रै दरवाजै जावै-
+
अटक्योड़ी
अेक मारग अबखो
+
का भटकती-
 +
ओळूं म्हारी
  
करण नैं पूरी
+
ओळूं रै अगाड़ी-कर
म्हारी अेक इकाई
+
जद-जद थूं बगै
म्हैं आफळूं अर आफळूं
+
ओळूं म्हारी
प्रेप-मारग
+
घूमर घालै
  
पूग उण दरवाजै
+
अर भळै
भोेगूं सूख सेज रो
+
अेकर पांतर जावूं म्हैं
पण बा घड़ी
+
ठाह नीं किण दिस
आवै कोनी हाथ
+
अदीठ हुय जावै
जद रळै सांस सूं सांस
+
थारी फरूकती धजा
मिळै सुर सूं सुर
+
रचीजै अेक राग
+
सधै कद राग ?
+
बणै कद बीज ??
+
  
सांस-सांस सूं रळ परी
+
सांवरा !
साधै अेक राग
+
सगळा देस थारा
अर गावै अेक हरजस-
+
सगळो म्हैं थारो
थारै सुपनै रो
+
क्यूं राखी भळै थूं म्हारी-
हां ऽ....तद उपजै
+
सांस अडावै
बीज सांस रो
+
ओळूं अडावै
  
जद तूठै कोई सुपनो
+
थारै जोड़
तद बणै बीज
+
कीं रचण नैं ?
सांस रो
+
कांईं रचूं म्हैं ?
पण बा घड़ी
+
आवै कोनी हाथ
+
इण री ठाह हुवै
+
अर ठाह नीं हुवै
+
  
चढती-उतरती राग
+
पांच चीजां
मंडतो-खिंडतो रंग
+
थूं रळावै
करै मांय म्हारै
+
तद ईज रळै
केई-केई वळा-
+
अर बण जावै-
सेळ-भेळ ऊंधा-पाधरा
+
आदम-बीज
  
धोळै रंग मांय
+
थूं नीं करै भेद
लाध्या सात रंग
+
सूंपै अेक बरोबर
सात रंगा सूं साधी
+
पांचूं चीजां
बणाई जूण नै भटकावती
+
राग-देस
+
  
असल मांय
+
सांवरा !
म्हारै पाखती
+
अेक डागळै
कीं नीं रैवैला
+
थाळी बाजै
अर नकल मांय अठै
+
अेक आंगणै
म्हैं बणाया है- केई-केई रंग
+
सासू गाजै
छेकड़ खूट जावैला
+
सगळा-रा-सगळा रंग
+
  
साव काळो काळ
+
मिनख करै भेद
जाणै लेवैला खोस
+
मिनख बणया भेद
म्हारा सगळा रंग
+
धरती-धरती में
 +
आभै-आभै में
 +
अगन-अगन में
 +
पवन-पवन में
 +
पाणी-पाणी में
  
आगूंच ठाह हुवै
+
धरती खनै हुवै-
पण ठाह नीं हुवै
+
अगन, पवन अर पाणी
कै म्हारै रंगां मांय है-
+
फगत अेक रंग पक्को
+
बो रंग मिट नीं सकै
+
  
बीं रंग अगाड़ी
+
आभै खनै हुवै-
खावैला पछाड़-
+
अगन, पवन अर पाणी
म्हारा सगळा-रा-सगळा रंग
+
म्हारा सगळा रंग
+
कच्चा रंग
+
  
अेक है पक्को रंग
+
धरती री आंख मांय
जिको गिटक जावै
+
रैवै आभो
म्हारा सगळा रंग
+
अर आभै री काख मांय
सगळा-रा-सगळा रंग
+
रैवै धरती
ठाह नीं
+
कद आय पूगै
+
डाकी काळो-काळ
+
  
लाध्यो कोनी
+
म्हे करां पक्को
किणी मिनख नैं
+
जाणै थूं मांड्यो
बो घर
+
म्हांरी सांस मांय-कोई पाढो
जठै बूरी थूं-
+
माया थारी
+
  
किंयां काढूं
+
अठै है
थारै जोड़ रो
+
इतरा इतरा भेद
कोई तोड़ सांवरा
+
थूं बिना भेद रै सूंपी
 +
पांती आई म्हारै
 +
पांचू चीजां म्हारी
 +
पण समझ कोनी आवै
 +
थारा केई केई भेद
 +
भेद मांयला भेद
  
धोळै रंग में
+
थारै इण देस
सात रंग सोधणिया
+
खाली आवै मिनख
काळै रंग सामीं
+
खाली जावै मिनख
अबोला क्यूं हुय जावां
+
भळै क्यूं अर क्यूं
 +
आवै-जावै मिनख
 +
 +
म्हैं नीं जाणूं
 +
इण सूं पैली-पछै
 +
जाणूं फगत इŸाो
 +
कै म्हैं आयो अठै
  
जोवां-जोवां
+
थारै रचाव
कोई आधो-परयो ई जोवां
+
थूं खुद रचीजै
कोई तो रंग जोवां
+
करतो रैवै कोतक
काळे रंग मांय
+
रचतो रैवै
कोई नूंवो रंग जोवां
+
नूंवां-नूंवां रंग  
  
पण काळै रंग मांय दीसै
+
थूं घालै
फगत अर फगत
+
म्हारै आखती-पाखती
अेक रंग
+
 
काळो अर काळो
+
क्यूं अर क्यूं
 +
नित झांकां
 +
दिन-रात झांकां
 +
 
 +
म्हानै परोटै
 +
हां जिका नैं
 +
हां जियां ई  
 +
परोटै थूं
 +
 
 +
थूं परोट जाणै
 +
भलै-भलै नैं
 +
थारी आंख री
 +
रैवै हद मांय
 +
दीठ-अदीठ
 +
थारा सगळा देस
 +
 
 +
बारै कांई है
 +
बता थारी आंख सूं
 +
बचण रो पाळै
 +
लोग भरम
 +
आखी जूण
 +
कीं रचण रो पाळै
 +
लोग भरम
 +
 
 +
म्हैं सांस-सांस नैं सुळझावूं
 +
अर घुळती जावै-
 +
सांस म्हारी
 +
सुळती जावै-
 +
सांस म्हारी
 
</poem>
 
</poem>

19:59, 26 जून 2017 का अवतरण

थारै रंगां सूं
प्रगटिया रूप
लीकां-लीकां मंडिया रूप
सबदां मांय ढळिया रूप

म्है हुवणो चावूं
खाली अर खाली
करूं काढ बारै-
स्सौ कीं थारो-म्हारो
जोवूं उण मांय-
रूप थारो
रूप म्हारो

बसै देस
सांसा मांय
गूंथीज परो
मांय म्हारै
म्हारी मुगती बीना
कोनी मुगती थारी

मिलै हजार देसूंटा
पण रैवै अठै अखंड
थारा देस
केई-केई देस

थारी आ दुनिया
जिŸाी दीसै बारै
उण सूं बती है
मांय म्हारै !

म्हैं देस मांय
अर देस है मांय म्हारै !!

कोई नीं हुय सकै
थारै सरीखो
न्यारो-निरवाळो
अर निरमोही
आपरी दुनिया सूं
आपरै देस सूं

कोई नीं रैय सकै
छोड’र बारै
आपरी दुनिया नैं
आपरै देस नैं
भलाई मिलै देसूंटो

जद-जद भरूं
देस नैं आंख्यां मांय
भरीज जावै देस

देस-देस लाधैला
कठैई तो थनै
अटक्योड़ी
का भटकती-
ओळूं म्हारी

ओळूं रै अगाड़ी-कर
जद-जद थूं बगै
ओळूं म्हारी
घूमर घालै

अर भळै
अेकर पांतर जावूं म्हैं
ठाह नीं किण दिस
अदीठ हुय जावै
थारी फरूकती धजा

सांवरा !
सगळा देस थारा
सगळो म्हैं थारो
क्यूं राखी भळै थूं म्हारी-
सांस अडावै
ओळूं अडावै

थारै जोड़
कीं रचण नैं ?
कांईं रचूं म्हैं ?

पांच चीजां
थूं रळावै
तद ईज रळै
अर बण जावै-
आदम-बीज

थूं नीं करै भेद
सूंपै अेक बरोबर
पांचूं चीजां

सांवरा !
अेक डागळै
थाळी बाजै
अेक आंगणै
सासू गाजै

मिनख करै भेद
मिनख बणया भेद
धरती-धरती में
आभै-आभै में
अगन-अगन में
पवन-पवन में
पाणी-पाणी में

धरती खनै हुवै-
अगन, पवन अर पाणी

आभै खनै हुवै-
अगन, पवन अर पाणी

धरती री आंख मांय
रैवै आभो
अर आभै री काख मांय
रैवै धरती

म्हे करां पक्को
जाणै थूं मांड्यो
म्हांरी सांस मांय-कोई पाढो

अठै है
इतरा इतरा भेद
थूं बिना भेद रै सूंपी
पांती आई म्हारै
पांचू चीजां म्हारी
पण समझ कोनी आवै
थारा केई केई भेद
भेद मांयला भेद

थारै इण देस
खाली आवै मिनख
खाली जावै मिनख
भळै क्यूं अर क्यूं
आवै-जावै मिनख
 
म्हैं नीं जाणूं
इण सूं पैली-पछै
जाणूं फगत इŸाो
कै म्हैं आयो अठै

थारै रचाव
थूं खुद रचीजै
करतो रैवै कोतक
रचतो रैवै
नूंवां-नूंवां रंग

थूं घालै
म्हारै आखती-पाखती

क्यूं अर क्यूं
नित झांकां
दिन-रात झांकां

म्हानै परोटै
हां जिका नैं
हां जियां ई
परोटै थूं

थूं परोट जाणै
भलै-भलै नैं
थारी आंख री
रैवै हद मांय
दीठ-अदीठ
थारा सगळा देस

बारै कांई है
बता थारी आंख सूं
बचण रो पाळै
लोग भरम
आखी जूण
कीं रचण रो पाळै
लोग भरम

म्हैं सांस-सांस नैं सुळझावूं
अर घुळती जावै-
सांस म्हारी
सुळती जावै-
सांस म्हारी