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"दे गईं यादें तिरी क्या ख़ूब नज़राना मुझे / हरिराज सिंह 'नूर'" के अवतरणों में अंतर
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+ | ‘नूर’ अपनी रहमतों की बारिशें तू मुझ पे कर, | ||
+ | अहले-दुनिया ने समझ रक्खा है बेगाना मुझे। | ||
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22:30, 17 अक्टूबर 2019 के समय का अवतरण
दे गईं यादें तिरी क्या ख़ूब नज़राना मुझे?
आ गया हर हाल में अब दिल को बहलाना मुझे।
मुद्दतों के बाद तुम आए हो मेरे सामने,
इस जहाँ में अब न तन्हा छोड़कर जाना मुझे।
इस जनम में और कितनी दूरियाँ सहता रहूँ?
छोड़ भी दे इस तरह ऐ यार! तड़पाना मुझे।
इस क़दर हैरान हूँ मैं देख तेरी ख़ूबियां,
कह रहे हैं आते-जाते लोग दीवाना मुझे।
‘नूर’ अपनी रहमतों की बारिशें तू मुझ पे कर,
अहले-दुनिया ने समझ रक्खा है बेगाना मुझे।