भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दे डालो हो मोड़ादे म्हारी झबिया हो राज / मालवी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:33, 29 अप्रैल 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दे डालो हो मोड़ादे म्हारी झबिया हो राज
झबियां में लागा आदा
म्हारी सगी ननंद रा दादा
झबियां में लागा आखा
म्हारी सगी नणंद रा काका
झबियां में लागा आंबा
म्हारी सगी नणंद रा मामा
झबियां में लागा हीरा
म्हारी सगी नणंद रा बीरा
झबिया में लागा मोती
म्हारी सगी नणंद रा गोती।