दैववश
इतने दिन बाद भेंट हुई
उसके बाद
आज भी किसके दोष से
कायम रही वही मिला-भेंटी ?
तुम्हारे अथवा मेरे,
किसके गुण से ।
इतना आनन्द विद्यमान है
तुम्हारी अक्षय आग में ?
मूल बाँगला भाषा से अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी
दैववश
इतने दिन बाद भेंट हुई
उसके बाद
आज भी किसके दोष से
कायम रही वही मिला-भेंटी ?
तुम्हारे अथवा मेरे,
किसके गुण से ।
इतना आनन्द विद्यमान है
तुम्हारी अक्षय आग में ?
मूल बाँगला भाषा से अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी