Last modified on 25 जून 2017, at 18:24

दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-25 / दिनेश बाबा

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:24, 25 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश बाबा |अनुवादक= |संग्रह=दोहा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

193
रक्षाबंधन के चलन, बनलो छै व्यापार
रक्षा के बदला हुवै, बेसी अत्याचार

194
संकट लानै प्राण के, जहाँ पीलिया रोग
दुल्हन लेली शुभ छिकै, हल्दी के संयोग

195
सहज रहै नैं खेल में, भारत पाकिस्तान
ऐ लेली सम्बन्ध भी, बनै कहाँ आसान

196
सिरीराम आ कृष्ण जी, छिकै विष्णु के अंस
रावण मरलै राम सें, केशव हाथें कंस

197
पापी छै कुलपूत हौ, जें कुल वृद्ध सताय
अंत करै छै एक दिन, वें पीढ़ी हो भाय

198
पाप प्रबल जब होय छै, तब जनमै छै कंस
अपनों साथें लै डुबै, छै पापीं कुल वंस

199
ऐ बातो के खोजियै, ‘बाबा’ कोय निदान
लोग जियै कहिनें भला, लै हाथोॅ पर जान

200
बेकारी में हाल भी नै पूछै छै कोय
‘बाबा’ आदर मान दै, धन सम्पत जब होय