मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
धन धन सीताजी के फुलवरिया
जहाँ अये साँवरिया
माथे मुकुट शोभे काने कुण्डल डोले
अंखियामे शोभे कजरिया
जहाँ आयल साँवरिया
मृदु मुसकान करे तिरछी नजरि मारे
सभा बीच खिचले धनुषिया
जहाँ अयला साँवरिया
सुन्दर रूप देखि सुधि-बुधि गेलै भूलि
आब ने सोहाए घर दुअरिया
जहाँ आयल साँवरिया
जुलफी कपोलन शोभे सीताके मनमोहे
सखि सब करत पुकरिया
जहाँ आयल साँवरिया