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धरती रै मन में आग आज / सांवर दइया

धरती रै मन में आग आज
बरसां पछै उठी जाग आज

तोड़ो हां तोड़ो स्सै भींतां
सगळां खातर औ बाग आज

आंगणा-डागळा हरख करै
गळी-गळी मीठी राग आज

रुच-रुच जीमांला सगळा ई
है सोगरा फळी साग आज

आखर अलख जगावण आया
हुई सवाई आ पाग आज